लोहरी लोहरी (लोहड़ी ) को पौष मास के अंतिम दिन , मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है। यह मुख्यतः पंजाब में मनाया जाता है और हर वर्ष यह १२ या १३ जनवरी को आता है। कुण्डली दिखाने के लिए वॉटसअप्प कीजिये 7566384193। यह न सिर्फ मौसमी त्यौहार है बल्कि इसके पौराणिक महत्त्व भी कहीं कहीं पढ़ने को मिलता है। बहुत लोग इसे दक्ष प्रजापति की पुत्री सती के योगाग्नि में भस्म होने की याद से जोड़ते हैं , इस अवसर पर माताएं अपनी विवाहित पुत्र्यिों के घर सामान भेजती हैं जो की अपनी अपनी सहूलियत के अनुसार होता है और इसमें मिठाई , फल आदि भी रहते हैं। लोहड़ी को दुल्ला भट्टी की कहानी से भी जोड़ा जाता है , वह एक चोर था जो गरीब लोगों की मदद करता था और उनके लिए आवाज़ बुलंद किया करता था। बच्चे उसके गीत गाते हैं और बदले में उनको मिठाई और धन मिलता है जिसे वे लोहरी के दिन रेवड़ियां खरीद कर खर्च करते हैं। इस दिन पंजाबी लोग बाहर आग जलाकर बैठते हैं और अग्नि में बहुत साड़ी वस्तुएं सारी वस्तुएं भस्म करते हैं। इसी दिन नाच गाना भी होता है ,”भंगड़ा” और “गिद्
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